वर्किंग वुमेन हॉस्टल - नौकरी पेशा महिलाओं का आशियाना
बाहर नौकरी लगने पर महिलाओं को सुरक्षा की चिंता सताती है। वर्किंग वुमेन हॉस्टल (Working Women Hostel Scheme) में उन्हें अच्छी सुविधाएं और सुरक्षा मिलती है।

हमारे देश के लिए गर्व की बात है कि बीते दशकों में नौकरी करने वाली महिलाओं की संख्या में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। रोज़गार के लिए महिला शक्ति अपने घरों से दूर बड़े शहरों और कस्बों का रुख कर रही हैं। अपने घर से बाहर और परिवार से दूर रहना महिलाओं के लिए एक बड़ा चैलेंज है। परिजनों को भी बेटियों के घर से बाहर जाने पर उनकी सुरक्षा और रहने की चिंता सताती है। लेकिन इस चिंता का समाधान है केंद्र सरकार की वर्किंग वुमेन हॉस्टल योजना (Working Women Hostel Scheme) ।
इस योजना के माध्यम से घर से दूर रहने वाली नौकरीपेशा महिलाओं को महानगरों से लेकर छोटे शहरों में हॉस्टल की सुविधा मुहैया कराई जाती है। इससे महिलाओं को सस्ता और सुरक्षित आशियाना तो मिलता ही है, साथ ही शहर में ठिकाना ढूंढने के लिए भटकना भी नहीं पड़ता।
आज इस ब्लॉग में हम इसी योजना के सभी पहलुओं पर बात करेंगे। ताकि आप या फिर आपका कोई परिचित इसका लाभ ले पाए।
वर्किंग वुमेन हॉस्टल योजना
केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई वर्किंग वुमेन हॉस्टल योजना(Working Women Hostel Scheme) महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित की जाती है। इस योजना को 1972-73 में शुरू किया किया गया था। समय के साथ योजना के फीडबैक के मुताबिक इसमें कई बार संशोधन किए गए हैं।
वर्किंग वुमेन हॉस्टल योजना का उद्देश्य
इस योजना का उद्देश्य है कि नौकरी पेशा महिलाओं को शहरों व कस्बों में रहने के लिए सुविधाजनक और सुरक्षित स्थान मिले। वहीं उनके बच्चों को भी काम के समय अच्छी देखभाल मिल सके। इससे ज्यादा से ज्यादा महिलाएं घर से बाहर नौकरी करने के लिए प्रेरित होंगी।
वर्किंग वुमेन हॉस्टल के लाभ
- महिलाओं को नए शहर में नौकरी मिलने के बाद आशियाने के लिए भटकना नहीं पड़ता।
- यहां पर महिलाओं को सुरक्षित और पारिवारिक माहौल मिलता है।
- हॉस्टल और अन्य सुविधाओं के लिए सरकार द्वारा तय किराया ही लिया जाता है, जो सामान्यतः काफी कम होता है।
- हॉस्टल में महिलाओं को जरूरत का फर्नीचर भी मुहैया करवाया जाता है।
- नौकरी करने वाली माताओं को छोटे बच्चों के लिए शिशु देखभाल केंद्र (क्रेच) की सुविधा मिलती है।
- महिला 5 साल के तक के लड़के और 18 साल तक की लड़की को अपने साथ रख सकती है।
- वर्किंग वुमेन हॉस्टल की सुविधा महानगरों, छोटे शहरों और कई ग्रामीण क्षेत्रों में भी उपलब्ध हैं जहां महिलाओं के लिए रोज़गार के अवसर मौजूद हैं
वर्किंग वुमेन हॉस्टल में कौन रह सकता है?
- सिर्फ ऐसी महिलाएं जो अपने घर से दूर नौकरी कर रही हों। स्थानीय महिलाओं को हॉस्टल की सुविधा नहीं मिलेगी।
- शहर में नौकरी कर रही महिला की मासिक सैलरी 50,000 रुपये से ज्यादा ना हो। ग्रामीण इलाकों में ये सीमा 35,000 रुपये है।
- नौकरी के लिए ट्रेनिंग(इंटर्नशिप) कर रही महिलाएं, लेकिन ट्रे्निंग की अवधि 1 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
- वंचित और विकलांग वर्गों की महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
- आवेदन करने वाली महिला की उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए।
वुर्किंग वुमेन हॉस्टल की सुविधा केवल सीमित समय के लिए मिलेगी
किसी भी महिला को केवल तीन साल की अवधि के लिए हॉस्टल की सुविधा मिलेगी। विशेष परिस्थितियों में जिला महिला कल्याण समिति से लिखित सिफारिश के आधार पर महिला को 6 महीने का एक्सटेंशन दिया जा सकता है। किसी भी परिस्थिति में महिला 5 साल से ज्यादा वुर्किंग वुमेन हॉस्टल में नहीं रह सकती। ट्रेनिंग कर रही महिला केवल एक साल तक ही हॉस्टल में रह पाएगी। वहीं महिला की सैलरी शर्त से ज्यादा हो जाने पर उसे 6 महीनों के अंदर हॉस्टल छोड़ देना होगा।
वर्किंग वुमेन हॉस्टल का संचालन
विभिन्न संस्थाएं वर्किंग वुमेन हॉस्टल का निर्माण कर सकती हैं या फिर किराए पर ले सकती हैं। इसके लिए सरकार द्वारा 75 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा हॉस्टल में हर किराएदार के हिसाब से 7500 रुपये तक ग्रांट संचालन करने वाली संस्था को दी जाती है। निम्नलिखित संस्थाएं वर्किंग वुमेन हॉस्टल का संचालन कर सकती हैं:
- महिलाओं से जुड़ी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं
- नगरपालिका समितियां
- सहकारी संगठन
- शैक्षणिक संस्थाएं
वर्किंग वुमेन हॉस्टल में अप्लाई करने के लिए ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स
- आधार कार्ड/पैन कार्ड/ड्राइविंग लाइसेंस
- नौकरी का पहचान पत्र
- सैलरी स्लिप
वर्किंग वुमेन हॉस्टल के लिए अप्लाई करने की प्रक्रिया
- शहर में वर्किंग वुमेन हॉस्टल की जानकारी के लिए संबंधित ज़िला अधिकारी या फिर महिला एवं बाल विकास अधिकारी से संपर्क करें।
- शहर में वर्किंग वुमेन हॉस्टल चला रही संस्था से संपर्क करें और हॉस्टल में वैकेंसी के बारे में पता करें।
- हॉस्टल में जगह होने पर फॉर्म के साथ-साथ जरूरी कागज़ात जमा करें, रेंट मासिक आधार पर देना होगा।
ये योजना देश के कई राज्यों में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित की जा रही है। विभिन्न संस्थाओं को वर्किंग वुमेन हॉस्टल चलाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है। महिलाओं को रहने की अच्छी सुविधाओं के साथ-साथ उनके बच्चों को डे केयर की सुविधा भी मिल रही है। योजना के अच्छे परिणामों को देखते हुए सरकार इससे और बढ़ाने का प्रयास भी कर रही है। उम्मीद है इस ब्लॉग में आपको योजना से जुड़े सभी सवालों के जवाब मिल पाए होंगे और योजना के पात्र इसका लाभ ज़रूर उठा पाएंगे।
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लेखक- मोहित वर्मा