जानें, वर्मी कम्पोस्ट आपके खेतों के लिए है कितनी फायदेमंद?
केमिकल फर्टिलाइज़र्स के उपयोग ने मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को प्रभावित किया है। वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग से किसानों की इस मुश्किल को दूर किया जा सकता है।

भारतीय कृषि क्षेत्र में समय-समय पर कई बदलाव हुए हैं। लेकिन रासायनिक खाद का प्रयोग निरंतर जारी रहा। इस वजह से खेतों की मिट्टी की उपजाऊ क्षमता प्रभावित हुई और कहीं न कहीं मिट्टी की संरचना पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा। इसलिए मिट्टी में नई जान फूंकना समय की मांग बन चुकी है। लिहाज़ा, हमें ऐसे विकल्पों को अपनाना चाहिए जिससे मिट्टी के स्वास्थ्य को बरकरार रखा जा सके और किसानों को बेहतर फसल मिल सके। केंचुआ खाद यानी वर्मी कम्पोस्ट एक ऐसा ही विकल्प है, जो कृषि क्षेत्र को मज़बूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
Knitter के इस ब्लॉग में आज हम इसी पर चर्चा करेंगे। हम आपको ये बताएंगे कि केंचुआ खाद (वर्मी कम्पोस्ट) किस तरह से मिट्टी को नया जीवन दे सकती है और किसानों की लहलहाती फसलों का कारण बन सकती है। साथ ही हम आपको इसे बनाने की विधि भी बताएंगे ताकि आप महंगे केमिकल फर्टिलाइजर्स के उपयोग से बच सकें और जैविक कृषि उत्पादों की पैदावार कर सकें। तो चलिए, आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि वर्मी कम्पोस्ट क्या है और ये कृषि क्षेत्र के विकास के लिए क्यों ज़रूरी है?
केंचुआ खाद (वर्मी कम्पोस्ट) क्या है?
केंचुआ खाद (वर्मी कम्पोस्ट) एक तरह की जैविक खाद है, जिसे विशिष्ट प्रजाति के केंचुओं और कीड़ों की मदद से तैयार किया जाता है। ये केंचुए पेड़-पौधे, सब्ज़ियों और कार्बनिक पदार्थ आदि के अवशेषों को खाते हैं और अपनी पाचन नली के ज़रिए इन्हें कंपोस्ट में तब्दील कर देते हैं, जिसे हम वर्मी कम्पोस्ट के नाम से जानते हैं।
केंचुआ खाद की उपयोगिता
हर किसान ये बात जानता है कि फसलों के लिए मिट्टी का स्वस्थ होना कितना ज़रूरी है। केंचुए इस काम में किसानों की काफी मदद करते हैं। केंचुए मिट्टी में छेद कर वायु संचार यानी Aeration को आसान बनाते हैं। इसके अतिरिक्त मिट्टी की गुणवत्ता और उत्पादकता पर भी इनकी गतिविधियों का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वहीं, ये मिट्टी पलटकर उसे फसलों के लिए और भी ज़्यादा उपयुक्त बनाते हैं।
केंचुआ खाद (वर्मी कम्पोस्ट) बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
केंचुआ खाद (वर्मी कम्पोस्ट) बनाने के लिए जैविक तरीके से डिकंपोज होने वाले पदार्थों का ही इस्तेमाल किया जाता है। जैसे-
गोबर: आप गाय-भैंस का गोबर, बकरी और भेड़ के मल आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं।
पेड़-पौधों के अवशेष: पेड़ की छाल, लकड़ी के छिलके, घास और पत्तियां तथा बुरादा आदि भी उपयोग में लाये जाते हैं।
एग्रीकल्चरल वेस्ट: फसलों के तने और पत्तियां, फल और सड़ी-गली सब्ज़ियों के अलावा खाना बनाते वक्त रसोई में होने वाला कचरा जैसे कि सब्ज़ी आदि के छिलके वर्मी कम्पोस्ट बनाने के काम आ सकते हैं।
इंडस्ट्रियल वेस्ट: खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों से निकलने वाला कचरा, गन्ने का बगास आदि भी इसके लिए उपयुक्त है।
केंचुआ खाद (वर्मी कम्पोस्ट) बनाने की विधि:
- सबसे पहले 8-10 फीट ऊंचा एक शेड तैयार कर लें। यदि कोई वृक्ष हो, तो वो भी काम आ सकता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि वृक्ष घना और छायादार हो।
- अब ज़मीन की सतह को ध्यान में रखते हुए 10 फीट लंबा, 3 फीट चौड़ा और 1.5 फीट ऊंचा बेड तैयार कर लें।
- अब उस बेड को गीला करके 2-3 इंच तक घास और पत्तियां आदि डाल लें।
- इसके बाद सड़े-गले कार्बनिक पदार्थ और 10 से 15 दिन पुराना गोबर डालें। आप 1 से 1.5 इंच की ऊंचाई तक ये गोबर डाल सकते हैं।
- अब 5-6 दिन तक लगातार दिन में एक बार पानी का छिड़काव करें।
- इसके बाद 2 दिन के अंतराल में अपने हाथों का इस्तेमाल करते हुए उस बेड पर डाली गईं सामग्रियों को उलट दें, ताकि गोबर से निकलने वाली गैस कम हो जाए और बेड का तापमान सही रहे।
- अब 5-6 दिन बाद कचरे के ढेर में हाथ डाल कर ये चेक करें कि कहीं उसमें गर्मी तो महसूस नहीं हो रही है। अगर गर्मी महसूस न हो, तो समझिए केंचुओं को छोड़ने का सही वक्त आ गया है।
- अब तैयार किए गए बेड पर करीब 3 किलो केंचुए छोड़ दें। आप इसके लिए “एसिनिया फीटिडा” प्रजाति का केंचुआ इस्तेमाल कर सकते हैं।
- अब उस बेड को केले के पत्ते या फिर जूट की बोरी से ढंक लें। वो इसलिए क्योंकि केंचुए अंधेरे में और ज़्यादा तेजी से गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
- बेड में सही नमी बरकरार रखने के लिए ठंड के मौसम में एक बार और गर्मियों में दो बार पानी का छिड़काव करें। ध्यान रहे कि नमी 30-35 प्रतिशत से कम ना हो।
- आप देखेंगे कि तकरीबन 45 से 50 दिन के अंदर ये केंचुए उस गोबर और कार्बनिक पदार्थों को कंपोस्ट में तब्दील कर देंगे।
- जैसे-जैसे बेड सूखता जाता है, केंचुए नमी तलाशने के लिए और नीचे की ओर जाते हैं। इस तरह आपको बेड के ऊपर कम्पोस्ट मिलनी शुरू हो जाती है। अंत में केंचुए थोड़ी सी कम्पोस्ट के साथ बच जाते हैं। आप चाहें तो उसके करीब एक और बेड तैयार कर सकते हैं। ये केंचुए खुद ही नमी की तरफ आकर्षित होकर उस बेड तक पहुंच जाएंगे।
- 10x5x1.5 के बेड के ज़रिए आप करीब 2.5 से 3 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर सकते हैं।
इसके लाभ:
- इससे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है।
- इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश जैसे पोषक तत्वों की भरमार होती है, जो आपकी फसलों की पैदावार के लिए बेहद ज़रूरी है।
- अन्य खाद के मुकाबले एन्जाइम्स और सूक्ष्म जीवों की संख्या भी अधिक होती है।
- वर्मी कम्पोस्ट बहुत ही कम समय में बनकर तैयार हो जाता है। अमूमन 2-3 महीने का वक्त इसके लिए पर्याप्त होता है।
- इसमें गोबर की खाद की तुलना में अधिक पोषण होता है।
- इससे मिट्टी की जल धारण करने की क्षमता भी बढ़ती है।
- मिट्टी के कटाव (सॉइल इरोजन) की समस्या दूर करने में भी मदद मिलती है।
- सबसे महत्वपूर्ण बात, किसान महंगे केमिकल फर्टिलाइजर्स के उपयोग से बच जाते हैं, जिससे उनकी बचत भी होती है।
- वहीं, पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलती है।
इसे बनाने का उचित समय?
जानकारों का मानना है कि केंचुआ खाद (वर्मी कम्पोस्ट) कभी भी बनाई जा सकती है। हालांकि, इसके लिए कुछ विशिष्ट परिस्थितियां निर्मित करनी ज़रूरी होती है। साथ ही इसके बनने में तापमान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 15 से 20 सेंटीग्रेड का तापमान इसके लिए बिल्कुल उपयुक्त होता है, क्योंकि इस तापमान में केंचुए ज़्यादा बेहतर तरीके से अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
बरती जाने वाली सावधानियां
- वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए आपको ऊंचे स्थान का चयन करना चाहिए।
- आप जो स्थान चुनें, वो छायादार होना चाहिए।
- सिर्फ डिकंपोज़ होने वाले पदार्थों का इस्तेमाल ही करना चाहिए।
- यदि आप वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए किसी प्लास्टिक या लकड़ी के बक्से का इस्तेमाल करते हैं, तो उसके नीचे पानी की निकासी के लिए छेद अवश्य बनाएं।
- साथ ही गड्ढे में नमी का भी ध्यान रखें।
हमें उम्मीद है कि आपको Knitter का यह ब्लॉग पसंद आया होगा। इस ब्लॉग में हमने आपको केंचुआ खाद (वर्मी कम्पोस्ट) के बारे में जानकारी देने की कोशिश की है। हमने बताया कि कैसे वर्मी कम्पोस्ट मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारने में मददगार है और किसानों को इसे क्यों अपनाना चाहिए? हमारा मानना है कि ये ब्लॉग आपको वर्मी कम्पोस्ट की उपयोगिता से पूरी तरह परिचित कराएगा।
हम आशा करते हैं कि आप इसी तरह Knitter के साथ बने रहेंगे और हमारे रोचक ब्लॉग्स पढ़ते रहेंगे।
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