एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग से कैसे संवारें अपना भविष्य
एग्रीकल्चर इंजीनियर्स का बड़ा योगदान है। आइये जानते हैं इंजीनियरिंग की इस फील्ड को।
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का बड़ा योगदान है। यही कारण है कि इसमें रोज़गार की अनेक संभावनाएं हैं। खासकर उनके लिए जो इस फील्ड में प्रोफेशनल कोर्स कर रहे हैं। समय के साथ-साथ खेती भी आधुनिक होती जा रही है। रोज इसमें नई-नई तकनीकों का विकास हो रहा है। एग्रीकल्चर फील्ड में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग एक बढ़िया विकल्प हो सकता है।
तो आइए जानते हैं कि एग्रीकल्चर इंजीनियर कैसे बना जा सकता है? इसमें करियर की क्या संभावनाएं हैं?
एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग क्या है?
एग्रीकल्चर इंजीनियर्स खेती में टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हैं। इंजीनियरिंग की इस फील्ड में छात्र कृषि के उपकरणों, तकनीकों आदि के बारे में सीखते हैं। नई तकनीकों, अविष्कारों और उपकरणों के माध्यम से खेती आसान और उत्पादन बढ़ता है। किसानों को बेहतर मुनाफा मिलता है।
कोर्सेस
एग्रीकल्चर इंजीनियर बनने के लिए सबसे बेहतर ऑप्शन बीटेक (B.Tech) इन एग्रीकल्चर है। इसके बाद आप एमटेक (M.Tech) और पीएचडी (PhD) तक की पढ़ाई कर सकते हैं। वहीं, एग्रीकल्चर फील्ड में इंजीनियरिंग के लिए आप डिप्लोमा कोर्स भी कर सकते हैं। डिप्लोमा कोर्स की अवधि 3 साल तक हो सकती है। वहीं, बीटेक (B.Tech) कोर्स की ड्यूरेशन 4 साल होती है।
कैसे लें एडमिशन
एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग करने के लिए 12वीं कक्षा विज्ञान संकाय में मैथ्स और फिजिक्स में 55 प्रतिशत अंकों के साथ पास करनी होगी। इसके बाद स्टूडेंट्स इंजीनिरिंग कोर्स में एडमिशन के लिए अलग-अलग यूनिवर्सिटी द्वारा ली जाने वाली कई एंट्रेंस एग्ज़ाम दे सकते हैं। इनमें से कुछ हैं-
- जॉइंट एंट्रेस एग्ज़ाम (JEE)
- मध्य प्रदेश-प्री एग्रीकल्चर टेस्ट (MP-PAT)
- गुजरात कॉमन एंट्रेंस टेस्ट
- कर्नाटक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (KCET)
- केरल इंजीनियरिंग एग्रीकल्चर एंड मेडिकल (KEAM) टेस्ट
बाकी राज्यों में भी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी द्वारा कॉमन एंट्रेंस एग्ज़ाम्स करवाए जाते हैं।
कोर्स फीस
सरकारी संस्थानों से एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग करना महंगा सौदा नहीं हैं। अलग-अलग संस्थानों में पूरे बीटेक कोर्स की फीस 50 हजार से 1 लाख रुपए तक होती है। वहीं, एंट्रेंस एग्ज़ाम में अच्छी रैंक लाने वाले छात्रों को कुछ संस्थानों द्वारा स्कॉलरशिप भी दी जाती है। इसमें आरक्षित वर्गों के लिए फीस माफी का भी प्रावधान रहता है।
एग्रीकल्चर इंजीनियर को क्या सिखाया जाता है?
- मृदा संरक्षण
- फार्म मशीनरी
- फूड टेक्नोलॉजी
- बायो-एग्रीकल्चर
- क्रॉप प्रोसेसिंग
- ट्रैक्टर और पॉवर यूनिट्स
- कृषि में कंप्यूटर एप्लीकेशन
करियर की संभावनाएं
एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के बाद सरकारी और प्राइवेट दोनों सेक्टर में नौकरी की अनेक संभावनाएं हैं। ट्रैक्टर, सिंचाई उपकरण, बीज़, फर्टिलाइजर और कृषि संबंधी उत्पाद बनाने वाली कंपनियों में एग्रीकल्चर इंजीनियर्स की मांग रहती है।
वहीं, सरकारी क्षेत्र में सर्वे रिसर्च एग्रीकल्चरल इंजीनियर, एग्रीकल्चर फील्ड ऑफिसर, सब्जेक्ट मैटर स्पेशलिस्ट, खाद्य और पेय पर्यवेक्षक, एग्रोनॉमिस्ट और मृदा वैज्ञानिक के तौर पर काम कर सकते हैं।
एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के ज़रिए खेती में भी उन्नति कर सकते हैं। क्योंकि, उन्हें नई तकनीकों और उपकरणों की जानकारी होती है तो किसी भी फसल का बेहतर उत्पादन कर सकते हैं।
सैलरी
प्राइवेट और सरकारी क्षेत्र में एग्रीकल्चर इंजीनियर को 50 हजार से 2 लाख रुपये तक सैलरी आराम से मिल जाती है।
उम्मीद है आप एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के बारे में बहुत कुछ जान पाए होंगे। यदि आप कृषि क्षेत्र में कुछ अलग और अच्छा करना चाहते हैं तो ये सबसे बेस्ट करियर ऑप्शन है।
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लेखक- मोहित वर्मा