शूकर पालन से बढ़ाएं आमदनी, यहां जानें
शूकर एक ऐसा पशु है, जो साल में 2 से 3 बार बच्चे देता है। शूकर पालन आपके जीवन में मुनाफा जोड़ सकता है। यहां जानें, कैसे?

शूकर (Pigs) को वैसे तो आपने गली-मोहल्ले में घूमते हुए देखा होगा। हो सकता है कि उस समय आपको अजीब सा महसूस हुआ हो। क्योंकि, अधिकांश लोग इसे गंदा जानवर ही मानते हैं, लेकिन इसके लाभ जानकर, हर कोई हैरान हो सकता है। बता दें कि शूकर के मांस में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है। यही कारण है कि भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में इसके मांस की मांग सबसे ज़्यादा है। और तो और कास्मेटिक प्रोडक्ट और दवाओं में भी इसका उपयोग होता है।
ऐसे में यदि आप भी कम लागत में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो शूकर पालन(Pig farming) आपकी मदद कर सकता है। तो फिर आइए, Knitter के इस ब्लॉग में शूकर पालन के बारे में विस्तार से जानें।
हम आपको बताएंगे-
- शूकरों के लिए ज़रूरी जलवायु
- शूकरों के आवास की जानकारी
- शूकरों का आहार और खानपान
- शूकरों की प्रमुख नस्लें
- शूकरों में लगने वाले रोग और इलाज़
- शूकर पालन में लागत और कमाई
- शूकर पालन के लिए ज़रूरी टिप्स
- एक्सपर्ट की राय
जलवायु
शूकर पालन के लिए सामान्य जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके लिए अनुकूल तापमान 25 से 35 सेंटीग्रेड होता है। देश में जम्मू-कश्मीर और राजस्थान को छोड़कर सभी राज्यों में शूकर पालन आसानी से किया जा सकता है।
आवास प्रबंधन
शूकर पालन के लिए शांत स्थान का चयन करें। आवास का चयन करते समय साफ पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कर लें।
याद रखें कि बाड़े का निर्माण ज़रूर करें। आप 2 तरह के बाड़ों का निर्माण कर सकते हैं। जैसेः
- खुले बाड़े
- बंद बाड़े
बाड़ा बनाते समय ध्यान रखें कि इसका आकार शूकरों की संख्या और उम्र के हिसाब से हो। बाड़ेके अंदर का तापमान 25 सेंटीग्रेड के आसपास रहे।
आहार प्रबंधन
शूकरों में तेजी से भोजन को मांस में बदलने की क्षमता होती है। वैसे तो शूकर कूड़ा-कचरा, अनाज, चारा, सब्जियां, व्यर्थ पदार्थ आदि भी खा जाते हैं। फिर भी इन्हें बेहतर स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त और संतुलित आहार की आवश्यकता होती है।
प्रमुख नस्लें
भारत में शूकरों की देसी और संकर दोनों नस्लें पाई जाती हैं। लेकिन, अधिक लाभ और व्यावसायिक उत्पादन के लिए संकर नस्लों का ही चुनाव करें।
संकर नस्लों में सफेद यॉर्कशायर, लैंडरेस, हैम्पशायर, ड्युरोक और घुंघरू मुख्य हैं।
सफेद यॉर्कशायर यह नस्ल भारत में सबसे अधिक पाई जाती है। इस नस्ल का रंग सफेद और कहीं-कहीं काला होता है। प्रजनन के मामले में, ये बहुत अच्छी नस्ल है। इस नस्ल के नर शूकरों का वजन 300-400 किलो और मादा शूकर का वजन 230-320 किलो तक होता है।
लैंडरेस इस नस्ल का रंग सफेद होता है। इसके कान और नाक लंबे होते हैं। प्रजनन के मामले में ये नस्ल भी अच्छी है। इस नस्ल के नर शावकों का वजन 270 से 360 किलो तक होता है, जबकि मादा 200 से 320 किलो तक होती है।
हैम्पशायर- इस नस्ल के शूकर मध्यम साइज के होते हैं। इनका शरीर गठा हुआ और रंग काला होता है। मांस के व्यवसाय के लिए ये नस्ल अच्छी होती है।
घुंघरू- यह नस्ल भारत में पूर्वोत्तर राज्यों में सबसे अधिक पाई जाती है। इस नस्ल के शावक तेजी से विकास करते हैं। इस नस्ल के पालन में बहुत ही कम खर्च होता है। |
शूकरों में लगने वाले रोग और उसके इलाज़
- यदि शूकरों की सही से देखभाल और बाड़ों की साफ-सफाई की जाए तो रोग लगने की आशंका बेहद कम हो जाती है। रोग नहीं लगे, इसके लिए समय-समय पर शूकरों का टीकाकरण कराते रहें।
- गर्भावस्था और दूध पिलाने की अवधि के दौरान मादा सूअर को पौष्टिक भोजन ज़रूर खिलायें और उसकी अतिरिक्त देखभाल करें।
- शूकरों में लगने वाले रोगों में कोलीबैसिलोसिस, कुकड़िया रोग, भुखमरी (हाइपोग्लाइसीमिया), एक्जीडेटिव एपिडर्मिटिस, श्वसन रोग, स्वाइन पेचिश मुख्य हैं।
- इन रोगों के लिए सरकारी अस्पताल में सस्ते दर पर टीके उपलब्ध होते हैं। नज़दीकी अस्पताल से संपर्क करके अपने शूकरों का टीकाकरण ज़रूर कराएं।
लागत और कमाई
शूकर पालन में अधिक खर्च करने की ज़रूरत नहीं होती है, लेकिन पहले साल शावकों की खरीद और आवास निर्माण में अधिक खर्च होता है। इसके बाद दूसरे साल से भोजन और दवाओं पर खर्च करना पड़ता है।
यदि आप 20 मादा शूकरों से इसकी शुरुआत करते हैं, तो पहले साल लगभग 3 लाख तक का खर्च आएगा। इससे पहले साल लगभग 21,000 दूसरे साल 7,80,000 और तीसरे साल 16,50,000 रुपये का लाभ हो सकता है।
शूकर पालन के लिए बेहद ज़रूरी हैं ये 10 टिप्स
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लेखक- दीपक गुप्ता