EPFO: 8.5 प्रतिशत ही होगी ब्याज़ दर, कर्मचारियों को राहत
ब्याज़ दरों को लेकर लिए गए EPFO के फैसले ने करीब 6 करोड़ कर्मचारियों को राहत की सांस लेने का मौका दिया है। फैसला कितना अहम है, आइए जानें।

कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए ईपीएफओ (EPFO) ने एक बड़ा फैसला लिया है। वित्त वर्ष 2020-21 की ब्याज़ दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। लिहाज़ा, कर्मचारियों को 8.5 प्रतिशत की दर से ही लाभ मिलेगा।
कब हुआ ये फैसला:
4 मार्च को ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज़ (CBT) की बैठक में यह फैसला लिया गया है। श्रीनगर में हुई इस बैठक में खुद केंद्रीय श्रम और रोज़गार मंत्री संतोष कुमार गंगवार मौजूद थे। उनकी अध्यक्षता में ही यह फैसला हुआ है। अब महज़ वित्त मंत्रालय से अंतिम मंज़ूरी का इंतज़ार है। जैसे ही वित्त मंत्रालय इस फैसले पर मुहर लगाएगा, अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
आशंकाओं पर लगा विराम:
यहां बताना ज़रूरी है कि लंबे समय से यह आशंका जताई जा रही थी कि कोरोना संकट की वजह से ब्याज़ दरों में कमी की जा सकती है। कुछ जानकार 15 से 25 बेसिस पाइंट तक की कटौती की अटकलें लगा रहे थे। लेकिन 4 मार्च को हुई बैठक में लिए गए इस फैसले ने कर्मचारियों की दुविधा दूर कर दी। ब्याज़ दरों में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है।
करीब 6 करोड़ कर्मचारियों को मिली राहत
आपको जानकर हैरानी होगी कि करीब 6 करोड़ कर्मचारी ईपीएफओ से जुड़े हुए हैं। ये एक बड़ा सब्सक्राइबर बेस है। खास बात ये है कि ईपीएफओ के सब्सक्राइबर बेस में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अकेले दिसंबर 2020 में ही 12.54 लाख नए कर्मचारियों ने रजिस्टर किया, जो कि नवंबर 2020 के मुकाबले 44 प्रतिशत अधिक है। सालाना आंकड़ों पर नज़र डाली जाए, तो भी इस बात की पुष्टि होती है।
- 2018-19 में 61.12 लाख सब्सक्राइबर जुड़े
- 2019-20 में 78.58 लाख नए सब्सक्राइबर जुड़े
ये आंकड़े करीब 28 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्शाते हैं। जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में और भी अधिक कर्मचारी ईपीएफओ का हिस्सा होंगे।
बीते एक दशक की ब्याज़ दरों पर एक नज़र:
साल |
ब्याज़ दर |
2010-2011 |
9.50% |
2011-2012 |
8.25% |
2012-2013 |
8.50% |
2013-2014 |
8.75% |
2014-2015 |
8.75% |
2015-2016 |
8.65% |
2016-2017 |
8.65% |
2017-2018 |
8.55% |
2018-2019 |
8.65% |
2019-2020 |
8.50% |
2020-2021 |
8.50% |
बीत गया वो सुनहरा दौर:
आज, हम जहां 8.5 प्रतिशत की ब्याज़ दर पर ही खुशियां मना रहे हैं, एक दौर था, जब ईपीएफओ ने 12 प्रतिशत तक की ब्याज़ दर का फायदा लोगों तक पहुंचाया है। सुनकर आंखें खुली की खुली रह जाए, मगर ये सच है।
1990-1991 से लेकर 2000-2001 तक लगातार 12 प्रतिशत की ब्याज़ दर से कर्मचारियों को फायदा पहुंचाया गया है। लिहाज़ा, उस दशक को ईपीएफओ के इतिहास का सुनहरा दौर कहा जा सकता है।
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लेखक- कुंदन भूत