जानें, खाद एवं उर्वरकों में अंतर और इसके प्रकार
खेतों की उपज बढ़ाने के लिए खाद की आवश्यकता होती है। ये दो प्रकार की होती हैं। प्राकृतिक खाद और रासायनिक खाद। आइए, इन खादों के बारे में विस्तार से जानें...

इंसान की तरह पौधों को भी पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है। पौधों को भी अपनी वृद्धि और विकास के लिए कुछ पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है। इन ज़रूरतों को पूरा करने के लिए किसान फसलों में खाद और उर्वरकों का प्रयोग करते हैं।
Knitter के इस ब्लॉग में आज हम खाद और उर्वरक के बारे विस्तार से चर्चा करेंगे। इस ब्लॉग में हम किसानों को खाद और उर्वरक में अंतर के साथ-साथ विभिन्न जैविक खाद और उर्वरकों के बारे में बताएंगे, जिससे किसानों को खाद के बारे में पूरी जानकारी मिल सके।
इस ब्लॉग को शुरू करने से पहले आपको बता दें कि खाद और उर्वरक क्या होता है।
खाद (Manure) और उर्वरक (Fertilizer)
वे पदार्थ जिसे मिट्टी के पोषक स्तर को बनाए रखने या पौधों की पोषक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मिट्टी में मिलाया जाता है, उसे खाद या उर्वरक कहते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं।
1. प्राकृतिक खाद
2. रासायनिक खाद
आपको बता दें, प्राकृतिक खाद को जैविक खाद और रासायनिक खाद को उर्वरक भी कहते हैं।
आइए अब जानते हैं, जैविक खाद किसे कहते हैं और यह कितने प्रकार के होते हैं।
जैविक खाद (प्राकृतिक खाद)
जैविक खाद को प्राकृतिक रूप से बनाया जाता है। इस प्रकार की खाद में किसी भी रसायन का उपयोग नहीं किया जाता। ये खाद गोबर, फसलों के अपशिष्ट, जीव-जंतु के मृत शरीर, घास, पत्ते और कूड़े-कचरे से बनाई जाती है।
जैविक खाद के प्रमुख प्रकार
1. गोबर की खाद
2. हरी खाद
3. वर्मी कम्पोस्ट (खाद)
4. कम्पोस्ट खाद
गोबर की खाद
गोबर की खाद को पालतू पशुओं जैसे गाय, भैंस, बकरी, घोड़ा, सूअर, मुर्गी एवं अन्य पशु के मल-मूत्र से तैयार किया जाता है। इसमें अन्य अपशिष्ट जैसे भूसा, पुआल, पेड़-पौधों की पत्तियां आदि को मिलाकर और उपयोगी बनाया जाता है।
केंचुआ खाद (वर्मी कम्पोस्ट)
केंचुआ खाद (वर्मी कम्पोस्ट) एक तरह की जैविक खाद है, जिसे केंचुओं की मदद से तैयार किया जाता है। ये केंचुए पेड़-पौधे, सब्ज़ियों और कार्बनिक पदार्थ आदि के अवशेषों को खाते हैं और अपनी पाचन नली के ज़रिए इन्हें कम्पोस्ट में तब्दील कर देते हैं, जिसे हम वर्मी कम्पोस्ट के नाम से जानते हैं।
कम्पोस्ट खाद
कम्पोस्ट को ‘कूड़ा खाद’ भी कहते हैं। कंपोस्ट खाद को पुआल, भूसा, कूड़ा-कचरा, राख, किचन वेस्ट को सड़ा-गलाकर बनाया जाता है।
इस प्रकार जैविक खाद के प्रयोग से मिट्टी की प्राकृतिक उपजाऊ शक्ति बढ़ती है और मिट्टी अधिक समय तक अच्छी फसल देने में सक्षम रहती है।
हरी खाद
हरी खाद मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए उम्दा और सस्ती जैविक खाद है। इस प्रकार की खाद में हरी फसलों को ही खेतों में दबाकर मिट्टी की उर्वरक शक्ति बढ़ाई जाती है। हरी खाद बनाने के लिए सनई, ढैंचा, लोबिया, मूंग व ग्वार जैसी फसलों का उपयोग किया जाता है।
आपको बता दें कि इस प्रकार की खाद बनाने के लिए ज़्यादा पानी और तापमान की ज़रूरत होती है।
जैविक खाद के लाभ
- भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होती है।
- मिट्टी में लाभकारी जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है।
- मिट्टी में ह्यूमस की बढ़ोतरी होती है।
- सिंचाई की आवश्यकता कम होती है।
- जैविक खाद सस्ती और टिकाऊ होती है।
- फलों की गुणवत्ता बढ़ती है, जिससे अच्छा स्वाद मिलता है।
- रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है।
- फसलों के उत्पादन में वृद्धि होती है।
- बाज़ार में जैविक उत्पादों की मांग बढ़ने से किसानों की आय में भी वृद्धि होती है।
- जैविक खाद लवणीय व क्षारीय दोनों प्रकार की मिट्टी में प्रभावी रूप में काम करती है, जबकि रासायनिक खाद ऐसा नहीं कर सकती।
उर्वरक (Fertilizers) (रासायनिक खाद)
ऐसी खाद जिसे विभिन्न प्रकार के रसायनों से बनाया जाता है, उसे उर्वरक या रासायनिक खाद कहते हैं। इस प्रकार की खाद का निर्माण कारखानों में किया जाता है।
आसान भाषा में कहें तो उर्वरक एक प्रकार से रासायनिक उत्पाद है, जिसे पेड़-पौधों की तत्काल वृद्धि और पोषक ज़रूरतों के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
कृत्रिम उर्वरक के प्रकार
यदि हम बाजारों में उपलब्ध रासायनिक उर्वरकों पर नज़र डालें तो फसलों की पोषक ज़रूरतों के अनुसार, कई प्रकार की रासायनिक खाद बाजार में उपलब्ध हैं। जैसे-
यूरिया (Urea)
यह सबसे अधिक लोकप्रिय और सर्वाधिक बिकने वाला उर्वरक है। यह पानी में घुलनशील कार्बनिक रसायन है, जिसका निर्माण अमोनिया और कार्बन डाइऑक्साइड से एक उच्च दबाव और तापमान पर किया जाता है। इस खाद में सर्वाधिक मात्रा नाइट्रोजन (46%) की होती है।
कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट (CAN)
यह अमोनियम नाइट्रेट और कैल्शियम कार्बोनेट का मिश्रण होता है। चूंकि इसमें एक अतिरिक्त पोषण तत्व कैल्शियम होता है, इसलिए यह फसलों के लिए लाभकारी होता है।
फॉस्फेटिक उर्वरक
फॉस्फेटिक उर्वरकों में फॉस्फोरस प्रमुख पोषक तत्व के रुप में होता है। इसमें मुख्य रूप से कैल्शियम फॉस्फेट होता है, जो सभी फॉस्फेटिक उर्वरकों का प्राथमिक स्रोत है।
मिश्रित उर्वरक
मिश्रित उर्वरक में एक से अधिक पोषक तत्व होते हैं। इन्हें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम-सल्फर (N-P-K-S) कहा जाता है।
पोटेशियम उर्वरक
पौधों के लिए तीसरा सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पोटेशियम है। इसे पोटेशियम क्लोराइड या पोटेशियम सल्फेट के नाम से भी जाना जाता है। यह उर्वरक सस्ता होता है। इसलिए किसान इसे ज़्यादा मात्रा में इस्तेमाल करते हैं।
आइए अब जानते हैं उर्वरकों के लाभ और हानि
उर्वरक से लाभ
- उर्वरकों के उपयोग से फसलों का अधिक उत्पादन कम समय में प्राप्त होता है।
- खाद्य सुरक्षा को हासिल करने में रासायनिक उर्वरकों की भूमिका होती है।
उर्वरक से हानि
- उर्वरक की अधिक मात्रा जल व मृदा प्रदूषण का कारण होती है।
- उर्वरकों के लगातार प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता शक्ति घटती जाती है।
- सूक्ष्म जीवों एवं भूमिगत जीवाणुओं का जीवन चक्र प्रभावित होता है।
प्राकृतिक खाद |
रासायनिक खाद (उर्वरक) |
इसे खेतों में आसानी से तैयार किया जा सकता है। |
इसे कारखानों में तैयार किया जाता है। |
ऐसी खाद मिट्टी को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचाती है। |
यह खाद भी मिट्टी को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचाती है। |
ये मिट्टी को पूरी तरह ह्यूमस प्रदान करती है। |
यह मिट्टी को ह्यूमस प्रदान नहीं करती है। |
इसे स्टोर और परिवहन के लिए असुविधाजनक माना जाता है। |
इसे आसानी से स्टोर और परिवहन कर सकते हैं। |
ये लंबे समय तक मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाने में भी मदद करती है। |
ये पौधों द्वारा आसानी से अवशोषित हो जाती है। |
जैविक खाद किफायती और सस्ती होती है। |
रासायनिक खाद महंगी होती हैं। |
अब तो आप खाद और उर्वरक में अंतर समझ गए होंगे। हम आशा करते हैं कि आप इसी तरह Knitter के साथ बने रहेंगे और हमारे इंटरेस्टिंग ब्लॉग्स पढ़ते रहेंगे।
आपको बता दें कि Knitter पर कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिल जाएंगे। आप इन ब्लॉग्स को पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
✍️
लेखक- दीपक गुप्ता