कस्टम हायरिंग सेंटर्स (CHC) किसानों के लिए कितने मददगार?
कस्टम हायरिंग सेंटर्स (CHC) कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारतीय कृषि व्यवस्था को मज़बूती भी प्रदान कर रहे हैं। आइए, इस पर एक नज़र डालते हैं।

कृषि उत्पादकता (productivity) के मामले में हम अब भी कई देशों से काफी पीछे हैं। यदि हमें अपनी स्थिति मज़बूत बनानी है, तो हमें कृषि के प्रति अपना दृष्टिकोण भी बदलना होगा। मौजूदा परिस्थितियों पर गौर करें, तो कृषि मशीनीकरण से इन हालातों को बदलना संभव है और कस्टम हायरिंग सेंटर्स (CHC) इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
आपको बता दें कि बीते कुछ समय में कस्टम हायरिंग सेंटर्स (CHC) की मदद से किसानों को ढेरों लाभ मिले हैं। साथ ही इससे कृषि उत्पादकता बढ़ाने में भी मदद मिली है। खास बात ये है कि सरकार खुद कस्टम हायरिंग सेंटर्स (CHC) को बढ़ावा दे रही है। SMAM योजना के तहत कस्टम हायरिंग सेंटर्स (CHC) की स्थापना को बल दिया जा रहा है और देश में कृषि मशीनीकरण को नए मायने दिए जा रहे हैं।
आज Knitter के इस ब्लॉग में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे। तो चलिए, आगे बढ़ते हैं और जानने का प्रयास करते हैं कि आखिर ये है क्या?
कस्टम हायरिंग सेंटर्स (CHC) क्या हैं?
कस्टम हायरिंग सेंटर्स (CHC) वो केंद्र हैं, जो किसानों को कृषि से जुड़ी मशीनें उपलब्ध कराते हैं। किसान इनसे अपने खेतों के लिए मशीनें किराए पर ले सकते हैं। छोटे व सीमांत किसानों को इसका सबसे ज़्यादा लाभ मिलता है। जैसा कि आप जानते हैं कि छोटे किसान आर्थिक रूप से इतने सशक्त नहीं होते हैं कि वे अपने खेतों के लिए मशीनें खरीद सकें। ऐसी स्थिति में CHC उनका सबसे बड़ा सहारा होते हैं। खास बात ये है कि किसान एक निश्चित समय के लिए या फिर कुछ घंटों के लिए भी इन मशीनों को किराए पर ले सकते हैं। वे जितनी देर उन मशीनों का उपयोग करते हैं, उसके अनुरूप ही उन्हें उसका भुगतान करना होता है।
इसके फायदे क्या हैं?
· छोटे व सीमांत किसानों को सस्ती दरों पर आधुनिक मशीनें मिल जाती हैं।
· कृषि उत्पादकता में वृद्धि होती है
· खेती करना आसान हो जाता है
· किसानों का मुनाफा भी बढ़ता है
· वहीं मशीन ऑपरेट करने वाले श्रमिकों को भी काम मिल जाता है
यदि कोई CHC खोलना चाहे तो उसे क्या करना होगा?
· सबसे पहले आपको इससे जुड़ा एक फॉर्म भरना होगा और ज़रूरी कागज़ातों के साथ संबंधित विभाग में जमा करना होगा।
· कागज़ातों को देखने के बाद विभागीय अधिकारी आपको बताएंगे कि आपका आवेदन मान्य है या नहीं।
· वेरिफिकेशन के बाद आपको अपने CHC पर एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करनी होगी।
· इस रिपोर्ट के लिए चार्टर्ड अकाउंटेन्ट (CA) की मदद ली जा सकती है।
· ध्यान रहे कि प्रोजेक्ट रिपोर्ट में सभी ज़रूरी पॉइन्ट शामिल हों। जैसे कि –
· प्रोजेक्ट की कीमत क्या होगी? (10 लाख, 25 लाख)
· आप कौन से बैंक से लोन लेना चाहते हैं?
· कितना लोन लेना चाहते हैं?
· कितनी अग्रिम राशि का भुगतान करना चाहते हैं?
· आपके CHC से कितने किसानों को फायदा पहुंचेगा?
· मशीनें कहां से खरीदी जाएंगी आदि।
जैसे ही आपकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार होगी आपको उसे कृषि विभाग के दफ्तर में जमा करना होगा। उस रिपोर्ट को वेरीफाई कर विभागीय अधिकारी द्वारा उसे बैंक मैनेजर को भेजा जाएगा। अंत में बैंक मैनेजर तय करेगा कि आप इस लोन के योग्य हैं या नहीं। अगर सब कुछ सही रहा तो आपको एक कंफर्मेशन लेटर मिल जाएगा। इस लेटर को आपको कृषि विभाग को भेजना होगा।
इसके बाद विभाग आपको एक ट्रेनिंग लेटर देगी। 15 दिन की इस अवधि में आपको कृषि मशीनों पर ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद आपको एक सर्टिफिकेट मिलेगा जिसे आपको कृषि विभाग में जमा कराना होगा। अंत में आपको सब्सिडी और लोन का लाभ मिलेगा। इसके बाद सरकारी नियमों के अनुरूप आप कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) चला सकते हैं।
इसके लिए कौन से कागज़ात ज़रूरी होंगे?
· आधार कार्ड
· ज़मीन से जुड़े कागज़ात
· बैंक पासबुक की फोटो कॉपी
· पासपोर्ट साइज़ फोटो
· पहचान पत्र की कॉपी (ड्राइविंग लाइसेंस/ पैन कार्ड/वोटर आईडी आदि)
· जाति प्रमाण पत्र (यदि आप किसी खास वर्ग से ताल्लुक रखते हों तो)
· निवास प्रमाण पत्र
कैसा रहा ब्लॉग का ये सफर?
हमें उम्मीद है कि आपको हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। इस ब्लॉग में हमने आपको कस्टम हायरिंग सेंटर्स (CHC) से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी देने की कोशिश की है।
Knitter में हमारा यही प्रयास रहता है कि आपको हर विषय पर सही और सटीक जानकारी मिले और आप सही दिशा में आगे बढ़ सकें। यदि आप अन्य किसी योजना के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप (Link) पर जाकर इसके बारे में पढ़ सकते हैं।
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