देश में पशुपालन विस्तार में मददगार हैं ये योजनाएं
भारत में पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बेहद ज़रूरी है। इसलिए सरकार भी पशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है। आइए, उन्हें जानें।

हमारे देश में सदियों से पशुपालन किया जा रहा है। हालांकि बदलते वक्त के साथ इसकी ज़रूरतें भी बदली हैं। लोगों को भले ही यह एक अतिरिक्त आमदनी का ज़रिया लगता हो, मगर सच्चाई ये है कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। अगर पशुपालन से मुंह फेर लिया जाए, तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था आहत हो सकती है। इसलिए ज़रूरी है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान की जाए। इस काम में पशुपालन से जुड़ी योजनाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
आज Knitter के इस ब्लॉग में हम आपको पशुपालन से जुड़ी ऐसी ही कुछ योजनाओं से परिचित कराएंगे। हम बताएंगे कि ये योजनाएं देश में पशुपालन और पशु पालकों की स्थिति में सुधार करने के लिए किस तरह से मददगार हैं? तो चलिए, एक नज़र इन योजनाओं पर डाल लेते हैं। लेकिन, इससे पहले ये जान लेते हैं कि यहां कौन सी योजनाओं की जानकारियां दी जाएंगी?
आप जानेंगे-
- राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP)
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM)
- राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM)
- डेयरी इंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट स्कीम (DEDS)
- राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NDDP)
- पशुधन बीमा योजना
- आहार और चारा विकास योजना
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP):
योजना:
यह केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है। गाय, भैंस, भेड़, बकरी और सूअर जैसे पशुओं में मुंहपका-खुरपका रोग (FMD) और ब्रूसेलोसिस के नियंत्रण के लिए साल 2019 में इस योजना की शुरुआत की गई थी। इसके तहत साल 2024 तक पशुओं की 100 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सरकार करीब 13343 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
उद्देश्य:
2025 तक टीकाकरण के ज़रिए मुंहपका-खुरपका रोग (FMD) को नियंत्रित करना और 2030 तक इस बीमारी को जड़ से खत्म करना।
प्रमुख गतिविधियां:
- हर छह माह में पशुओं का टीकाकरण
- टीकारण से पूर्व डीवर्मिंग
- प्रचार और जागरूकता अभियान
- ईयर टैगिंग, रजिस्ट्रेशन और डेटा के ज़रिए पशुओं की पहचान करना
- डेटा को INAPH पर अपलोड करना
- पशु स्वास्थ्य कार्ड के ज़रिए टीकाकरण का रिकॉर्ड रखना
- वैक्सीन की खरीद करना
लाभ:
- घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी होगी
- दूध व अन्य पशु उत्पादों के एक्सपोर्ट में इज़ाफा होगा
- ब्रूसेलोसिस जैसी घातक बीमारी की रोकथाम की जा सकेगी
राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM):
साल 2014-15 में इस योजना की शुरुआत की गई थी। यह नेशनल प्रोग्राम फॉर बोवाइन ब्रीडिंग एंड डेयरी डेवलपमेंट के तहत संचालित एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। इसके तहत वैज्ञानिक तरीके से देसी नस्लों के संरक्षण और विकास पर ज़ोर दिया जाता है।
उद्देश्य:
स्वदेशी नस्लों का संरक्षण और विकास करना और नस्ल सुधार कार्यक्रम को बल देना।
प्रमुख गतिविधियां:
- बोवाइन्स में दूध उत्पादन और उत्पादकता में बढ़ोतरी करना
- रोग मुक्त और उच्च आनुवांशिक गुणों वाली मादा आबादी को बढ़ाना
- लाल सिंधी, गिर और साहिवाल जैसी अच्छी नस्लों की मदद से नॉन-डिस्क्रिप्ट यानी कि कम विशेषताओं और गुणों वाले पशुओं का उन्नयन करना
- अच्छी नस्ल के बैलों का वितरण करना
- किसानों के घर पर ही कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) की व्यवस्था करना
क्रियान्वयन से जुड़ी एजेंसियां:
- पशुधन विकास बोर्ड
- CFSPTI
- भारतीय किसान अनुसंधान परिषद (ICAR)
- एनजीओ और सहकारी समितियां
किसे लाभ मिलेगा?
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाला हर पशु पालक इस योजना का लाभ ले सकता है।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM):
यह पशुपालन के क्षेत्र में लाई गई सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है। साल 2014-15 में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इस अनोखी पहल को अंजाम दिया ताकि देश में पशुपालन को एक नई दिशा दी जा सके। राष्ट्रीय पशुधन मिशन के ज़रिए पशुपालन के क्षेत्र में सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर ज़ोर दिया जा रहा है। सरकार ने इस काम की महती ज़िम्मेदारी नाबार्ड को सौंपी है जो इस योजना के लिए वह एक चैनलाइज़िग एजेंसी भी है।
उद्देश्य:
पशुपालन के क्षेत्र में संधारणीय विकास को बल देना।
योजना के प्रमुख अंग व गतिविधियां:
- पोल्ट्री वेंचर कैपिटल फंड (PVCF)
- छोटे जुगाली करने वाले पशुओं और खरगोशों का समेकित विकास (IDSSR)
- सूअर विकास (PD)
- बछड़ों को बचाना और उनका पालन पोषण करना (SRMBC)
- पशुओं की प्रजातियों का संरक्षण करना
किसे लाभ मिलेगा?
किसान, एनजीओ, इंटरप्रेन्योर, स्व सहायता समूह, कंपनियां व सहकारी संस्थाएं
योजना से जुड़ी वित्तीय संस्थाएं:
वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, राज्य सहकारी बैंक तथा नाबार्ड द्वारा मान्य अन्य बैंक व संस्थाएं
डेयरी इंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट स्कीम (DEDS):
यह पशुपालन, डेयरी और मत्स्य विभाग द्वारा शुरू की गई एक योजना है। इसके ज़रिए डेयरी सेक्टर में स्वरोज़गार को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। इस योजना के तहत दूध उत्पादन, दूध की खरीद, उसके प्रीज़र्वेशन, ट्रांसपोर्टेशन और प्रोसेसिंग जैसी गतिविधियों के लिए करीब 33 प्रतिशत की बैक एंड कैपिटल सब्सिडी मुहैया कराई जा रही है। आपको बता दें कि नाबार्ड को इसके क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी दी गई है।
उद्देश्य:
देश में डेयरी सेक्टर को मज़बूती प्रदान करना और स्वरोज़गार को बढ़ावा देना।
प्रमुख गतिविधियां:
- आधुनिक डेयरी फार्म्स की स्थापना करना
- बेहतर नस्लों के पालन को बढ़ावा देना
- असंगठित क्षेत्र में संरचनात्मक बदलाव करना
- ग्रामीण इलाकों में दूध की प्रोसेसिंग पर बल देना
- दूध उत्पादन को कमर्शियली ज़्यादा व्यवहार्य बनाना
- असंगठित क्षेत्र में स्वरोज़गार को बढ़ावा देना
किसे लाभ मिलेगा?
किसान, एनजीओ, इंटरप्रेन्योर, स्व सहायता समूह, डेयरी की सहकारी समितियां, मिल्क यूनियन और दूध संघ आदि
पशुधन बीमा योजना:
योजना:
केंद्र सरकार की इस योजना के तहत पशुओं का बीमा किया जाता है। शुरुआत में 100 ज़िलों का चयन कर इस योजना को लागू किया गया था। इसके बाद 300 ज़िलों में इस योजना को क्रियान्वित किया गया। इस योजना के संचालन की ज़िम्मेदारी पशुपालन, डेयरी और मत्स्य विभाग के कंधों पर है। योजना के तहत देसी/दुधारू पशुओं का बीमा वर्तमान बाज़ार मूल्य के आधार पर किया जाता है। साथ ही सरकार द्वारा प्रीमियम के भुगतान में भी मदद की जाती है।
उद्देश्य:
किसानों और पशु पालकों को उनके पशुओं की मृत्यु होने पर बीमा की राशि प्रदान करना और उन्हें अचानक होने वाले नुकसान से बचाना।
पॉलिसी:
इस योजना के तहत ली गई पॉलिसी 3 साल के लिए मान्य होती है।
आहार और चारा विकास योजना:
योजना:
यह भी केंद्र सरकार की एक खास योजना है जिसके तहत पशु आहार व चारे के उत्पादन पर ज़ोर दिया जाता है। यह चारा सूखे या फिर बाढ़ की स्थिति में पशुओं के काम आता है। इससे पशुओं के संरक्षण में भी मदद मिलती है।
उद्देश्य:
आधुनिक तकनीक और मशीनों की मदद से फसल अवशेषों को चारे में तब्दील कर उसके संरक्षण को बढ़ावा देना।
प्रमुख अंग व गतिविधियां:
- बेहतर चारा बीज उत्पादन
- साइलेज बनाना
- आम चारागाह भूमि पर चारा उत्पादन
- हरा चारा उत्पादन में बढ़ोतरी
- फसल अवशेषों के लिए गोदाम बनाना
इन योजनाओं के अलावा देश में राष्ट्रीय मछुआरा कल्याण योजना, मात्स्यिकी प्रशिक्षण एवं विकास योजना, प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना और राष्ट्रीय बोवाइन प्रजनन और डेयरी कार्यक्रम जैसी ढेरों अन्य योजनाएं हैं, जो देश में पशुपालन की दशा और दिशा तय करने में मददगार हैं। इसके अलावा अलग-अलग राज्य भी अपने स्तर पर कुछ योजनाएं संचालित करते हैं, जिसका फायदा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पशु पालकों और किसानों को मिलता है।
हमें उम्मीद है कि आपको Knitter का यह ब्लॉग पसंद आया होगा। Knitter पर आपको बिज़नेस के अलावा कृषि एवं मशीनीकरण, एजुकेशन और करियर, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे। आप इनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
लेखक- कुंदन भूत