केमिकल रंगों से बचाएंगी ये 5 बेहतरीन टिप्स, याद रखें
कोरोना काल में होली का उत्सव किसी चुनौती से कम नहीं है। बाज़ार में मिलावटी रंगों की मौजूदगी खतरे को बढ़ाती है। ऐसे में ज़रूरी है कि आप सतर्क रहें।

होली रंगों का उत्सव है। लेकिन, अगर आप अलर्ट नहीं हैं तो ये रंग आपके लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि आप रंगों का चुनाव करते समय बेहद सावधान रहें। वरना, ये रंग आपकी सेहत को बिगाड़ सकते हैं।
होली के मौके पर बाज़ार रंगों से भरे पड़े हैं। लेकिन, ये जानना बेहद मुश्किल है कि कौनसा रंग आपके लिए सही है? केमिकल रंगों में ज़हरीले रसायन का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आप इन खतरनाक केमिकल रंगों से बच सकते हैं?
1- प्राकृतिक रंगों का करें इस्तेमाल
होली पर बाज़ारों में मिलने वाले केमिकल रंगों की जगह प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें। प्राकृतिक रंग आपकी स्किन को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। कुछ लोग हल्दी, हीना पाउडर और चंदन पाउडर से ऑर्गेनिक कलर बनाकर रखते हैं।
2- फूलों से खेल सकते हैं होली
होली रंगों का त्यौहार है। इस दिन एक-दूसरे को रंग लगाने की परंपरा है। लेकिन, बाज़ार के केमिकल वाले रंग आपकी सेहत के लिए हानिकारक होते हैं। इसलिए फूलों से होली खेलना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। वृंदावन में इस तरह की होली खूब खेली जाती है।
3- ऐसे करें मिलावटी रंग की पहचान
प्राकृतिक रंग काफी हल्के होते हैं। इसके वज़न के ज़रिए आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि कौनसा रंग केमिकल युक्त है। केमिकल वाले रंग भारी होते हैं। इसके अलावा रंग या गुलाल खरीदते वक्त पैकेजिंग का ध्यान दें।
पैकेजिंग में भी इसमें मिलने वाली सामग्री की पूरी जानकारी होती है। रंगों को बनाने में किन-किन चीज़ों का इस्तेमाल किया गया है, यह जानना भी ज़रूरी है।
4- चमक और एक्सपायरी डेट
आपको बता दें कि प्राकृतिक रंग ज़्यादा चमकीले और भड़काऊ नहीं होते। जबकि केमिकल वाले रंगों में चमकीले कण देखने को मिल जाते हैं। इसे आप अपनी हथेली पर घिसकर पता लगा सकते हैं।
सभी प्राकृतिक रंगों में एक्सपायरी डेट लिखी होती है, जो 6 से 7 महीने होगी, जबकि केमिकल वाले रंग की एक्सपायरी डेट 3-4 साल तक भी हो सकती है।
5- रंग पानी में घोलकर देखें
प्राकृतिक रंगों को पानी में घोलने में कोई दिक्कत नहीं आती है। यह आसानी से पानी में घुलनशील होते हैं। वहीं, केमिकल वाले रंगों में कुछ कण हमेशा बचे रह जाते हैं। पैकेट वाले रंगों का पहले लैब टेस्ट होता है, जिसमें सर्टिफिकेशन नंबर मिलता है। इसके ज़रिए भी आप रंग की शुद्धता का पता लगा सकते हैं।
केमिकल रंगों से नुकसान
- त्वचा और बालों की समस्या हो सकती है
- आंखों के नीचे सूजन, एलर्जी, त्वचा में खिंचाव, खुजली की समस्या
- त्वचा पर जलन, छोटे छोटे पिंपल्स, हेयर फॉल का होना
- शरीर के अंदर जाने पर पेट में खराबी भी हो सकती है
- गर्भस्थ बच्चों में विकृति और त्वचा के कैंसर जैसे रोग का खतरा
ये तो थी केमिकल रंगों की बात। लेकिन इसके अलावा Knitter पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, एजुकेशन और करियर, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
✍️ लेखक- नितिन गुप्ता